Sunday, July 21, 2013

आज मैने सूर्य से बस जरा सा यूँ कहा...... "श्री बालकवि जी "बैरागी""

The word Octastich means Poem or Stanza of 8 lines. 

Here are two of my favourites from Poet Shri Balkavi ji "Bairagi". The small poems are really thought provoking. The poet Shri Balkavi ji "Bairagi" is also author of many books and quite of hindi songs. Also served as Member of legislative assembly and upper house of Parliament of India. 

आज मैने सूर्य से बस जरा सा यूँ कहा....


आज मैने सूर्य से बस जरा सा यूँ कहा....आपके साम्राज्य में इतना अँधेरा क्यूँ रहा ...

तमतमा कर वो दहाड़ा मैं अकेला क्या करूँ...  तुम निकम्मों के लिए मैं भला कब तक मरुँ....

आकाश की आराधना के चक्करों में मत पड़ो...संग्राम ये घनघोर है कुछ में लडूं कुछ तुम लड़ो !!!!


जब सूरज हो मरा मरा , जब डरा हुआ हो उजियारा... 


जब सूरज हो मरा मरा , जब डरा हुआ हो उजियारा... 

चैतन्य न हो जब चिंगारी , जब बुझा हुआ हो अंगारा... 


तब समझो की षड़यंत्र कहीं, कुछ चलता घने अंधरे का... 


किंचित 'मावस घोंट रही , कंठ कहीं नए सवेरे का... 


तब जिन में बल हो साहस हो , वो ही आगे आते हैं... 


बेशक सूरज बन सके न वो , लेकिन मशाल बन जाते हैं !!! 






Note : The image of the sun has been taken from www.wallironart.com.

Just compiling thoughts : www.tapastiwari.com 

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